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Monday, March 29, 2010

Ek Chotisi Kavita

"टूटे हुए सपने की सुने कौन सिसकी,

अंतर को चीर व्यथा पलकों पर ठिठकी I

हार नहीं मानूंगा , रार नई ठानूंगा ,

काल के कपाल पर लिखता - मिटाता हूँ I

गीत नया गाता हूँ I " --- अटल बिहारी वाजपेयी

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